Tuesday, 18 April 2017

Maharana Pratap History

मेवाड़ के राजा Maharana Pratap का पूरा नाम महाराणा प्रताप सिंह था । जानिए इनकी Biography in Hindi, जन्म, परिवार और अन्य history के बारे में | महाराणा प्रताप के वजह से राजपूतो को  ना केवल भारत में सम्मान (respect) मिला बल्कि पूरी दुनिया में उन्होंने पुरे India का नाम रौशन किया  । महाराणा प्रताप के Sacrifice, वीरता और स्वदेशप्रेम की comparison किसी और से नहीं की जा सकती है । तो चलिए जानते है Maharana Pratap की history,  height, weight, उनकी जीवनी, marriage, wife name, से लेकर उनके प्रिय और वफादार घोड़े चेतक के बारे में विस्तार से, जिसे जान कर आपको भी गर्व महसूस होगा |

महाराणा प्रताप का जन्म / Birth Maharana Pratap

महाराणा प्रताप का जन्म 9th may सन 1540 में राजस्थान के कुम्भलगढ़ दुर्ग में हुआ था। इनके पिता का नाम राणा उदय सिंह था और इनकी माँ का नाम महारानी जयवंता कँवर था। बचपन से ही महाराणा प्रताप बहादुर,  अभिमानी और आज़ादी प्रिय थे। सन 1572 में जब वे मेवाड़ के राज-गद्दी पर बैठते तो उन्हें कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा था , मगर सब्र (Patience) और वीरता के साथ उन्होंने हर मुसीबतों का सामना किया ।

महाराणा प्रताप का विवाह / Marriage and Wife of Maharana Pratap
महाराणा प्रताप ने 11 विवाह की थी और इन 11 पत्नियों से उनके कुल 19 बच्चे थे। उनके 11 पत्नियों के नाम और उन पत्नियों (wife) से प्राप्त हुए उनके पुत्रों (sons) के नाम (name) है –

पत्नी महारानी अजब्धे पंवार से उनके दो पुत्र थे पुत्र अमरसिंह और भगवानदास ।
पत्नी अमरबाई राठौर से उनके एक हीं पुत्र थे, नत्था ।
पत्नी शहमति बाई हाडा से भी उनके एक हीं पुत्र थे, पुत्र पुरा ।
पत्नी अलमदेबाई चौहान से भी उन्हें एक हीं पुत्र हुए जिनका नाम पुत्र जसवंत सिंह था ।
पत्नी रत्नावती बाई परमार से उनके तीन पुत्र हुए, पुत्र माल, गज और क्लिंगु ।
पत्नी लखाबाई से उन्हें एक पुत्र हुआ जिसका नाम रायभाना था ।
पत्नी जसोबाई चौहान से भी एक हीं पुत्र था ,पुत्र कल्याणदास ।
पत्नी चंपाबाई जंथी से उनके तीन पुत्र हुए कल्ला, सनवालदास और दुर्जन सिंह ।
पत्नी सोलनखिनीपुर बाई से उनको दो पुत्र हुए साशा और गोपाल ।
पत्नी फूलबाई राठौर से भी उनके दो पुत्र हुए चंदा और शिखा ।
पत्नी खीचर आशाबाई से भी उनके दो पुत्र हुए हत्थी और राम सिंह ।

महाराणा प्रताप का वजन  /  Height and Weight

महाराणा प्रताप का वजन यानि की weight 110 kg और उनकी लम्बाई यानि की height 7 feet 5 inch थी। महाराणा प्रताप का भाला, छाती का कवच, ढाल तथा दो तलवारों का weight मिलाकर 208 kg था। उनका भाला हीं केवल 81 kg का था और उनका कवच भी 72 kg का था। वे इतना सारा weight लेकर हीं युद्ध-क्षेत्र में लड़ते थे।

हल्दीघाटी का युद्ध / Battle of Haldighati

हल्दी घाटी का युद्ध 18 june, सन 1576 में मेवाड़ और मुगलों के बिच हुआ था। इस युद्ध में मेवाड़ की सेना का संचालन(leadership) महाराणा प्रताप ने किया था। इस लड़ाई में प्रताप की ओर  से लड़ने वाले केवल एक हीं मुस्लिम व्यक्ति थे जिनका नाम हकीम खान सूरी था और उनके 800 सैनिकों (army) थे । इस लड़ाई में मुगल सेना का leadership मानसिं, आसफ खान ने किया था । इस युद्ध को आसफ खान ने indirect  रूप से जेहाद की नाम दे दिया था । इस युद्ध के दवरान महाराणा प्रताप की रक्षा करने के लिए बींदा के झालामान ने अपने प्राणों की कुरबानी दे दी थी । भले हीं महाराणा प्रताप Powerful मुगलों को हरा नहीं पाए, पर उन्होंने अपने बहादुरी का जो मिसाल प्रस्तुत किया, वह अत्यंत अनोखा था । लेकिन देखा जाए तो इस लड़ाई में महाराणा प्रताप की हीं जीत हुई क्योंकि अकबर के इतने विशाल सेना होने के बावजूद भी महाराणा प्रताप के कुछ सेनाओं ने उनसे पूरे एक दिन तक युद्ध की और उन्हें भागने पर मजबूर कर दिया था । उन्होंने जिन condition में युद्ध किया था ,वे सच में कठिन थी, पर उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी वतन को ना तो निर्भर होने दिया ना ही अपमानित होने दिया ।

अकबर, महाराणा प्रताप के राज्य को अपने साम्राज्य(Empire) में अनुरूप करना चाहता था, इसके लिए उन्होंने महाराणा प्रताप को समझाने के लिये लगातार 4 messengers को भेजा:-

जलाल खान कोरची
मानसिंह
भगवान दास
टोडरमल
महाराणा प्रताप ने अकबर की परवशता को कभी नहीं अपनाया । 12 सालों के परिश्रम के बाद भी अकबर उसमें कोई changing ना ला सका। आखिकार long time के संघर्ष के बाद महाराणा प्रताप मेवाड़ को आजादी दिलाने में कामयाब रहे और ये समय मेवाड़ के लिए एक सुनहरा पल साबित हुआ।

महाराणा प्रताप और उनका घोड़ा / Chetak Horse

महाराणा प्रताप के सबसे प्यारा अश्‍व यानि की घोड़े का नाम  चेतक (Chetak)  था। हल्दी घाटी के युद्ध में चेतक ने अपनी इमान

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